HomeHindi Storyरोज़मर्रा की जिन्दगी (Routine Life) - The Social Opinion

रोज़मर्रा की जिन्दगी (Routine Life) – The Social Opinion

 रोज़मर्रा की जिन्दगी 


Hindi Kahani

संजना अपने पिता की लाडली बेटी थी बड़े ही लाड प्यार से उसका पालन-पोषण हुआ था पढ़ाई पूरी करने के बाद संजना की बैंक में नौकरी लग गई कुछ समय बाद सुनील से उसकी शादी हो गई, दोनों बहुत ही खुश थे दोनों नौकरी पेशा थे इसलिए सुबह निकलते और शाम को घर आते, मिलजुल कर काम खत्म कर लेते उनकी लाइफ का यही रूटीन हो गया था

संजना को कहीं भी रिश्तेदारी में आना जाना पसंद नहीं था और कोई छुट्टी के दिन उसके घर आ जाए तो यह उसे बिल्कुल पसंद नहीं था सप्ताह में 6 दिन काम करने के बाद संडे को वह फ्री रहना चाहती थी सुनील भी उसकी आदत अच्छी तरह जानता था, इसलिए उसे कहीं भी आने-जाने के लिए ज्यादा फोर्स नहीं करता था, पर संजना की मां उसे अक्सर समझाया करती थी बेटी रिश्तो को बनाए रखने के लिए आना जाना और मिलना जुलना जरूरी है संजना पर माँ की बातों का कोई असर नहीं होता  

एक दिन ऑफिस से आते सुनील बोला, आज दीदी का फोन आया था कह रही थी कि तुम लोगों से मिले काफी समय हो गया, इसलिए वह संडे को घर आना चाहती है संजना तुनक कर बोली क्या सुनील एक संडे ही तो मिलता है मुझे, बाकी 6 दिन तो मुझे मशीन की तरह काम करना पड़ता है, तुम कोई भी बहाना बना दो और उन्हें मना कर दो यह कहकर संजना सो गई

संडे को सुबह संजना की मां का फोन आया बेटा तुम्हारे पापा की तबीयत ठीक नहीं है और वह तुम्हें बहुत याद कर रहे हैं, आज छुट्टी है तो तुम और सुनील आ जाते तो अच्छा रहता क्या मां अभी श्रुति के जन्मदिन पर तो आए ही थे मैं अपना संडे खराब नहीं करना चाहती फिर कभी देख लेंगे, लगभग झुंझलाते हुए संजना बोली और मां के जवाब की प्रतीक्षा किए बिना ही उसने फोन रख दिया और काम में लग गई

सुनील को यह सब अच्छा नहीं लगा उसने कहा अगर मां कह रही है तो चलते हैं ना, यही तो है कौन सा दूसरे शहर में है उन्हें भी अच्छा लगेगा नहीं सुनील मेरा मूड नहीं है, सुनील की बातों को नजरअंदाज करते हुए संजना बोली और उठकर रसोई में चली गई

दूसरे दिन सुबह संजना के भाई का फोन आया वह रो रहा था, संजना घबरा गई और बोली क्या हुआ भाई तुम रो क्यों रहे हो ? अपने आप को संभालते हुए उसका भाई बोला अच्छा हुआ दीदी तुमने अपना संडे खराब नहीं किया, पापा तो वैसे भी हमें छोड़ कर चले गए हैं, उन्हें कल दिल का दौरा पड़ा था तुम्हें बहुत याद कर रहे थे, कहते-कहते वह फिर रोने लगा और फोन काट दिया

संजना के कानों में जैसे किसी ने पिघलता हुआ लावा डाल दिया हो, उसका सिर घूम रहा था, आंखों के आगे अंधेरा छा गया बार-बार मां के शब्द उसके कानों में गूंज रहे थे काश उसने अपनी मां की बात मान ली होती तो कम से कम आखरी समय में अपने प्यारे पापा से मिल तो लेती उसे अपने आप में शर्मिंदगी महसूस हो रही थी, जिंदगी भर के लिए एक पश्चाताप का कांटा उसके सीने में चुभ गया था उसे अपनी रूटीन लाइफ आज बोझ लगने लग गई थीजिसे उतारकर वह फेंक देना चाहती थी  

Hindi Kahaniya

RELATED ARTICLES

Most Popular